Tuesday, 20 June 2017

तुम ..तुम तो शुरू से ही अवांछित हो ,

सत्य दर्शन :--
ए खुदा मेरे
हर दुआ बद्दुआ बनती जा रही है
नहीं ...तुमने तो दुआ ही दी थी 

खराबी तेरी आत्मा में है ..सड़ गयी है बदबू है उसमे दुर्गन्धयुक्त हो चुकी है
किसी लायक नहीं बची ,,
अब इसका मिटना ही ठीक है ..खत्म होना अच्छा
रेंगते कीड़े बीमारी फैलाते हैं दुनियाभर की
और आतंकित रहती है दुनिया खौफ से
तुम्हारे खौफ से खुदा आतंकित रहने लगा है
जानते हो तुम ..इसी लिए कपाट बंद है तुम्हारे लिए
अपवित्र लोगो के मन्दिर में घुसने पर बंदिश होती है
पवित्र आत्माओ के साथ ही कोई शरीर प्रभु चरण वन्दना का हकदार होता है ,
तुम ..तुम तो शुरू से ही अवांछित हो ,
ए नारी तुम पतिता हो !
तुम्हारा पता क्या है ?
तुम्हारा पति कौन है ?
तुम्हे अधिकार दिया किसने ...स्वयम छीन लेना चाहती हो
तुम अछूत हो ..निकलो बाहर .....और इधर नजर तो क्या पैर करके भी मत सोना
प्रभु गंदे हो जायेंगे ..
अपमानित करती हो तुम ..
बहुत ताज्जुब हुआ था पहली बार ..जब नाम सुना था अपना ,,
कितना खुश थी न ...सिर्फ इस अहसास से ,कुछ तो वजूद है मेरा भी ,
लेकिन ...गंदे लोगो का वजूद नहीं होता ..वो भार स्वरूप होते हैं धरा पर
उनके लिए दया, प्रेम ,अधिकार, दोस्ती ,ईमान सब बेमानी है ,,
तुमपर इल्जाम है ...और भगवान कभी गलत नहीं होता ,
हमारी तुच्छ बुद्धि क्या समझेगी किसी परम तत्व को
अज्ञानी अधम ,हम प्रभु लीला को क्या जानेंगे ..
बस अनुगामी हो सकते हैं ...अधिकारी न होने पर देखना ..किन्तु
वो भी न होने पर एकाकी रहना ..अहिल्या बनकर
और इंतजार किसी राम का ,,
जो सम्भव नहीं है ..क्यूंकि ..
राम कलयुग में जन्म नहीं लेंगे ..
अब तुम्हे पुनर्जन्म लेना होगा .
और ये जन्म यूँही काटना होगा
परिष्कृत करना होगा ,,खुद को ..
जो सम्भव नहीं है इस जन्म में तो ..
तीन युग ...फिर राम का जन्म होगा ...और तब सम्भव है उद्धार तुम्हारा
यदि युग न बदला ?
यदि राम न आये ?
यदि एसा जन्म न मिला ?
तो ............
!!-- विजयलक्ष्मी

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