Wednesday, 14 June 2017

आओ बुलंद आवाज में वन्देमातरम उचारी जाए

चलो थोड़ी धज्जियां ईमान की उखाड़ी जाए ,
थोड़ी सी खपच्चियाँ छान की उतारी जाए 
बहुत गरज रहा है वो थोथे चने के जैसा 
चलो तो क्यूँ न हवा पाकिस्तान की निकाली जाये
दे रहे हैं सीख ..अपने घर में झांककर देखते नहीं है जो 
आओ बुलंद आवाज में वन्देमातरम उचारी जाए
मौत से डरते तो ईमान से मौन साध लेते
श्यामपट से वतन परस्ती की भाषा सिखा दी जाए
खोलकर आँख आज केसत्य से नजर मिलाओ
आगे बढो ,,एक बनकर नाक में नकेल डाली जाये
कश्मीर हमारा हिस्सा सुनो कान खोलकर
जिन्हें सुनाई नहीं दिया कान में गर्म तेल डाली जाये   ||
 ------------ विजयलक्ष्मी

No comments:

Post a Comment