Wednesday, 3 May 2017

" मुझे माटी से अनुराग तो है बशर्ते मेरे वतन की हो ,"

" मुझे माटी से अनुराग तो है बशर्ते मेरे वतन की हो ,
उस सीमा पर बंदूक उठालूँ बशर्ते मेरे वतन की हो .
छलनी दुश्मन का सीना करें बशर्ते जीत वतन की हो
जीवन का अंतिम गीत लिखूं बशर्ते प्रीत वतन की हो
"  ------ विजयलक्ष्मी    







उठो,एक शीश के बदले तुम दस ले आओ ,,
शब्दबाण को छोडो . कुछ करतब दिखाओ ||


हमको सेना प्यारी है सैनिक का अपमान नहीं 
ओ छप्पन इंची अब तो कुछ करके दिखाओ || 


या तो कह दो कुछ करने की औकात नहीं ..
या पाकिस्तान को उसकी अब औकात बताओ ||


हर सैनिक जीवन देने को तैयार खड़ा है यहाँ
पत्थरबाजी या गोलीबाजी जमींदोज कराओ ||


बहुत हो चुकी बाते , अब कुछ भी मंजूर नहीं
दुश्मन के खेमे में सेना का तांडव नाच कराओ ||
------- विजयलक्ष्मी

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