" मुझे माटी से अनुराग तो है बशर्ते मेरे वतन की हो ,
उस सीमा पर बंदूक उठालूँ बशर्ते मेरे वतन की हो .
छलनी दुश्मन का सीना करें बशर्ते जीत वतन की हो
जीवन का अंतिम गीत लिखूं बशर्ते प्रीत वतन की हो " ------ विजयलक्ष्मी
उठो,एक शीश के बदले तुम दस ले आओ ,,
शब्दबाण को छोडो . कुछ करतब दिखाओ ||
हमको सेना प्यारी है सैनिक का अपमान नहीं
ओ छप्पन इंची अब तो कुछ करके दिखाओ ||
या तो कह दो कुछ करने की औकात नहीं ..
या पाकिस्तान को उसकी अब औकात बताओ ||
हर सैनिक जीवन देने को तैयार खड़ा है यहाँ
पत्थरबाजी या गोलीबाजी जमींदोज कराओ ||
बहुत हो चुकी बाते , अब कुछ भी मंजूर नहीं
दुश्मन के खेमे में सेना का तांडव नाच कराओ || ------- विजयलक्ष्मी
उस सीमा पर बंदूक उठालूँ बशर्ते मेरे वतन की हो .
छलनी दुश्मन का सीना करें बशर्ते जीत वतन की हो
जीवन का अंतिम गीत लिखूं बशर्ते प्रीत वतन की हो " ------ विजयलक्ष्मी
उठो,एक शीश के बदले तुम दस ले आओ ,,
शब्दबाण को छोडो . कुछ करतब दिखाओ ||
हमको सेना प्यारी है सैनिक का अपमान नहीं
ओ छप्पन इंची अब तो कुछ करके दिखाओ ||
या तो कह दो कुछ करने की औकात नहीं ..
या पाकिस्तान को उसकी अब औकात बताओ ||
हर सैनिक जीवन देने को तैयार खड़ा है यहाँ
पत्थरबाजी या गोलीबाजी जमींदोज कराओ ||
बहुत हो चुकी बाते , अब कुछ भी मंजूर नहीं
दुश्मन के खेमे में सेना का तांडव नाच कराओ || ------- विजयलक्ष्मी
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