क्षमा याचना करनी अरु क्षमा दान दोनों ही बंद करो
जीना है स्वाभिमान के साथ, देशद्रोहियों से युद्ध करो
जीवन जीने की इच्छाशक्ति यदि स्वाभिमान पर भारी है
समझ लीजिए, गुलामी की तरफ बढ़ने की तैयारी है ,
जाति-पाति में ब्याह शादियाँ अलग बात सामाजिक है
जनगणना कर लड़ना आपस में पूर्णतया राजनीतिक है
किसने बोला लड़ने भिड़ने को, किन्तु एक होकर रहो
हालात देखिए बांग्लादेश के, सत्य उजागर सत्य कहो
सत्य नग्न है किन्तु नगण्य नहीं हो सकता कभी भी
मानवता जिंदा है तबतक, जिंदा सनातन यदि अभी
वसुधैव कुटुम्बकम अपनी संस्कृति अपना संस्कार है
औरों के व्यवहार में नफरत के संग मात्र प्रतिकार है
यदि झूठ झुठला सकते हो, झुठला कर के दिखलाओ तो
कहाँ नहीं तोड़फोड़ की, इतिहास के पाठ पढ़ाओ तो
अहिंसा पर हिंसा भारी देखी, सबकी साहूकारी देखी
झूठ मचलता देखा रेत में , गद्दारों की मक्कारी देखी
कुटिल चाल देखी सत्ता की, जनता संग मारामारी देखी
जयचंद भी देखे, शिवाजी, महाराणा की जयकारी देखी
विदेशी कठपुतली, नाचते नेता,झूठी शान हजारी देखी
टूटे देश सत्ता की खातिर, कैसी कैसी मक्कारी देखी ।
विजय लक्ष्मी जलज