मेरे शब्द दर्द से वाबस्ता थे ,,
लोगो ने शायरी समझी
दर्द की हर कराहट में उभरी आह ..
लोगो ने अदावत ही समझी
फितूर दिल का नजरों में आ गया
उफ़ .. सरलता ने यही जिन्दगी समझी
हर शब्द चाशनी में पगा था
जिन्दगी खूबसूरत समझी
नहीं मालूम था व्यापार दिल का
हमने वही बन्दगी समझी ||
--- विजयलक्ष्मी
लोगो ने शायरी समझी
दर्द की हर कराहट में उभरी आह ..
लोगो ने अदावत ही समझी
फितूर दिल का नजरों में आ गया
उफ़ .. सरलता ने यही जिन्दगी समझी
हर शब्द चाशनी में पगा था
जिन्दगी खूबसूरत समझी
नहीं मालूम था व्यापार दिल का
हमने वही बन्दगी समझी ||
--- विजयलक्ष्मी
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