Wednesday, 28 September 2016

एक फैसले से.........||

मैं दुश्मन को खत्म तो कर दूं ,, एक फैसले से ,,
भीतर घर के उठेगा.तूफ़ान .मेरे दिए फैसले से ||
जो नमक खाकर नमकहरामी कर रहे हैं यहाँ
उन्हें बतानी है शैह औ मात,,मेरे इक फैसले से ||
दरकते दिलों में नफरत है अनजाना खौफ भरा
करना है उसका भी हिसाब ,,मेरे इसी फैसले से||
लहू में पानी मिलाऊ ,या प्यास का करूं हिसाब
बहीखाता भी करना है बराबर मेरे हर फैसले से ||
कत्ल औ जख्म गिने ही नहीं अभी कितने खाए
दुश्मन का होना है इलाज ,मेरे किये फैसले से ||
--------- विजयलक्ष्मी

3 comments:

  1. जय मां हाटेशवरी...
    अनेक रचनाएं पढ़ी...
    पर आप की रचना पसंद आयी...
    हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
    इस लिये आप की रचना...
    दिनांक 29/09/2016 को
    पांच लिंकों का आनंद
    पर लिंक की गयी है...
    इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

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