मैं दुश्मन को खत्म तो कर दूं ,, एक फैसले से ,,
भीतर घर के उठेगा.तूफ़ान .मेरे दिए फैसले से ||
भीतर घर के उठेगा.तूफ़ान .मेरे दिए फैसले से ||
जो नमक खाकर नमकहरामी कर रहे हैं यहाँ
उन्हें बतानी है शैह औ मात,,मेरे इक फैसले से ||
उन्हें बतानी है शैह औ मात,,मेरे इक फैसले से ||
दरकते दिलों में नफरत है अनजाना खौफ भरा
करना है उसका भी हिसाब ,,मेरे इसी फैसले से||
करना है उसका भी हिसाब ,,मेरे इसी फैसले से||
लहू में पानी मिलाऊ ,या प्यास का करूं हिसाब
बहीखाता भी करना है बराबर मेरे हर फैसले से ||
बहीखाता भी करना है बराबर मेरे हर फैसले से ||
कत्ल औ जख्म गिने ही नहीं अभी कितने खाए
दुश्मन का होना है इलाज ,मेरे किये फैसले से || --------- विजयलक्ष्मी
दुश्मन का होना है इलाज ,मेरे किये फैसले से || --------- विजयलक्ष्मी
जय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteअनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 29/09/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
इलाज ज़रूरी है .
ReplyDeleteइलाज ज़रूरी है .
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