Monday 25 May 2015

" बदलता रुख लिए मौसम का मिजाज चख लेना ,"



बदलता रुख लिए मौसम का मिजाज चख लेना ,
भीषण गर्मी है छत पर पानी संग दाने रख देना .
बात अहिंसा की दौर ए जोर संगीनों का दिखा ,
अपने मिजाज में दोस्ती का कोई कोना रख लेना .
बेज़ा दौर आक्षेप उपेक्षा का राजनीतिक गलियारों में ,
कटुता में भी राष्ट्र से अपनापन जरा सा रख लेना .
गर कहूँ सच है मनमौजी हो चुकी ये नई पीढियाँ
तरक्की की राह में कुछ मेहनतकशी भी रख लेना .
भूख तो भूख है मुफलिस की हो या अमीर की ,
फास्टफूड की जगह शाकसब्जी भी चख लेना .----- विजयलक्ष्मी

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