Friday 29 August 2014

" गणपति चतुर्थी की बधाई ||"



गणपति घर घर विराजे ,
सबके घर मंगल साजे ...

" कार्तिकेय और गणेश ...सहोदर ..कार्तिकेय वीरता के प्रतीक ,जनगण की सुरक्षा के अर्थ निहित ..और साथ में ..प्रथम पूजनीय पदासीन गणपति ..सत्ता के गुणों के प्रवर्तक उनके स्वरूप से निर्धारित होती है ... सत्ता की गुणातीत आवश्यकता ..बुद्धिमान चतुर ... हाथी के दांत ..अर्थात डर बना रहना चाहिए सत्ता का ...बड़े कान अर्थात हर छोटी बात पर ध्यान ... लम्बी सूंड ...जनगण की वेदना सम्वेदना को सूंघने की क्षमता ..(जनगण की वास्तविक आवश्यकताओ की जमीनी हकीकत से जुड़े रहना )..वाहन मूषक.....अर्थात ... दिखावा करती लम्बी कतार का जमावड़ा न हो ... (कार्यकरने वाले व्यवस्थित रूप से कार्यरत रहे .....व्यर्थ के खर्च और सत्ता के कारण जनगण को परेशानी का सामना न करना पड़े .......बड़ा सा शरीर ... कद्दावर प्रभावशाली व्यक्तित्व ..: कोई कुछ भी कहने से पहले सोचसमझ कर  बोले .. महाकाल और शक्ति का हाथ सर्वथा सर पर रहे अर्थत अध्यात्म के भी विकास हो ...हाथ में पुष्प एवं परसा अर्थात मन कोमल किन्तु निर्णय सख्त हो और उनका अनुपालन भी हो ...ऐसे परम देव .. जिनके आने पर घर में (देश में ) खुशहाली हो ..मंगलगीत गूंज उठे ..खुशिया नाचती गाती मिले ..|| "

"कार्तिकेय स्व और साहस के प्रणेता जीवन साहस और शौर्य के वर्धक " ये अलग बात है सत्ता गणपति को प्राप्त हुयी किन्तु... गणराज्य विरासत में मिले , पुरुस्कार में या पुरुषार्थ से तथापि निर्वहन गणपति-गणेश के समान ही होना चाहिए ....कठोरतम दिखने वाले पालक के मन में प्रेम और सह्रदयता निवास करे ,प्रजा भयमुक्त हो ! नव-सृजन शुभ व लाभकारी हो !

..........इन्ही प्रतीकों के स्वामी गणपति का आगमन आप सबके लिए मंगलमय हो ...गणेश चतुर्थी की बधाई || ---------- विजयलक्ष्मी 

No comments:

Post a Comment